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PE रेश्यो क्या होता हैं | PE Ratio Meaning In Hindi 2023

V singh
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PE Ratio Kya Hota Hai :- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं इस ब्लॉग लेख में जहां आज हम आपको बताएंगे PE Ratio के बारे में जिसे जानना आपके लिए बहुत जरूरी हो जाता हैं. अगर आप शेयर मार्केट से किसी भी शेयर को खरीदते हों. क्योंकी शेयर मार्केट के बड़े - बड़े निवेशक भी पीई अनुपात को बहुत सारे शेयर में से अच्छे शेयर को पहचानने का फॉर्मूला मानते हैं।

अगर आप भी शेयर मार्केट में निवेश करते हो और किसी भी कंपनी में PE Ratio देखे और समझें निवेश करते हों तो यह आपकी बहुत बड़ी गलती हैं, क्योंकि अच्छे निवेशक हमेशा किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले पीई रेश्यो को जरूर देखते हैं।

आज के इस लेख में हम जानेंगे की स्टॉक्स मार्केट में  PE Ratio Kya Hota Hai, PE Ratio Meaning in Hindi , PE Ratio कितना होना चाहिए , पीई  रेश्यो कितना होना अच्छा माना जाता हैं. ज्यादा या कम, शेयर का PE Ratio कितना होने पर उसे खरीदें आदि बहुत सारी जानकारी तो चलिए ज्यादा समय न गवाते हुवे शुरू करतें हैं।

Table of Content (toc )

PE रेश्यो क्या होता हैं ( PE Ratio Kya Hota Hai )

पीई रेश्यो शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी का एक वृत्तीय अनुपात होता हैं. जो की शेयर के महंगे या सस्ते होने का अनुमान निवेशक को प्रदान करता हैं. शेयर एनालिसिस करते समय PE Ratio का हर निवेशक उपयोग करता हैं।
Share Market Me PE Ratio Kya Hota Hai
Share Market Information in Hindi

PE रेश्यो का मतलब Price To Earning Ratio होता हैं. जो एक वृत्तीय अनुपात होता हैं. जो निवेशक को यह अनुमान देता हैं. की उसे किसी कंपनी में 1 रूपये कमाने के लिए कितना प्राइस देना पड़ता हैं. PE रेश्यो को देख कर आप यह अनुमान लगा सकते हो कि आपको किसी भी सेक्टर की दो कंपनियों में से किस में पैसे निवेश करना चाहिए।

PE Ratio Meaning In Hindi 

जैसा कि आपको पता ही चल गया हैं. की PE Ratio का फुल फार्म प्राइस टू अर्निंग रेश्यो हैं. पी ई रेश्यो हमें बताता है. की किसी भी Company का Stocks अपने EPS के मुकाबले Stocks Market में कितने गुना Price पर ट्रेड हो रहा है. तथा आप यह भी पता लगा सकते हो कि एक जैसे फंडामेंटल वाली दो कम्पनियों में किस कंपनी का शेयर सस्ता और किसान महंगा हैं।
तो कुछ इस प्रकार Price To Earning Ratio कंपनी की स्टॉक्स प्राइस और EPS के अनुपात को भी दर्शाता हैं. EPS Kya Hai इसके बारे में हम नीचे जानेंगे लेकिन उससे पहले एक उदाहरण के साथ PE Ratio को समझते हैं।

उदाहरण- माना एक कंपनी X हैं जो हर साल 10 हजार रूपये कमाती हैं. मान लेते हैं. उस कम्पनी का मार्केट में एक ही शेयर हैं, जिसे आपने खरीदा हैं, जिसका करंट प्राइज 1 लाख हैं. तो उसका P/E Ratio 10 होगा।
फॉर्मूला- P/E= Share Price / EPS ( Earning per Share )
= 1 lakh शेयर प्राइस ÷ 10 हजार EPS
P/E= 10

इसका यह मतलब हैं की आप ने हर साल 10 हजार कमाने के लिए 1 लाख रूपये इन्वेस्ट किए हैं. जो की एक बार आपको करने होते हैं, यानी आपको PE Ratio की 10 गुना कीमत अदा करनी पड़ेगी अगर आपको 10 हजार कमाने हैं।

अभी भी नही समझे तो नीचे पढ़े
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दोस्तों अगर आपको आसान भाषा में समझाए तो जिस भी कम्पनी के शेयर का PE Ratio जितना होगा यानी 5,10,25,50 कितना भी तो इसका मतलब यह हैं, की आपकों उस कंपनी से हर साल एक रुपया कमाने के लिए उतना पैसा देना होगा जो की आपको एक बार देना होगा।

PE Ratio फॉर्मूला

पीई रेश्यो की गणना करने के लिए एक फॉर्मूला यूज किया जाता हैं, मान लेते हैं, कोई कम्पनी अपने हर शेयर से हर साल 100 रूपये कमाती हैं. और उसके शेयर का करंट प्राइस 10 रूपये है तो इसके PE Ratio की गणना आप आसनी से इस फॉर्मूले से कर सकतें हों।
P/E= Share Price / EPS ( Earning per Share )

PE Ratio Formula
PE Ratio Meaning In Hindi

EPS क्या हैं ( EPS Kya Hota Hai )

ऊपर इस लेख को पढ़ कर आपको यह तो समझ आ गया होगा की PE Ratio Kya Hai, और आप यह भी जान गए होगें की EPS का फुल फॉर्म Earning Per Share होता हैं. लेकिन EPS को कैसे निकाला जाता हैं. यह क्या हैं चलिए इसके बारे में जानते हैं।
EPS एक ऐसा रेश्यो हैं. जो हमें किसी भी कंपनी के एक शेयर के पीछे की इनकम को बताता है. यानी कंपनी ने एक निश्चित टाइम पीरियड में एक शेयर से कितना प्रॉफिट कमाया।

आसानी से समझे तो मान लो आपके पास किसी कंपनी का एक शेयर हैं. अब वो शेयर आपकों एक वर्ष में कितना मुनाफा करके देता है यह EPS Ratio बताया हैं. यानी की किसी कंपनी का EPS जितना ज्यादा होगा उसे उतना ही अच्छा माना जायेगा।

EPS कैलकुलेशन फॉर्मूला

मान लीजिए एक कंपनी X हैं. किसका वर्ष 2023 में नेट इनकम 50 करोड हैं, और कंपनी ने इसी वर्ष 2 करोड Dividends दिया हैं. तथा कंपनी के कुल शेयर 4 करोड हैं तो EPS = Net Income - Preferred Dividends /Average Number Of Share Outstanding

EPS= 50 करोड़ - 2 करोड ÷ 4 करोड
EPS = 12

लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह हैं की हर कंपनी को Preferred Dividends देने का ऑब्लिकेशन नही होता ऐसे में हम EPS कुछ इस प्रकार निकाल सकतें हैं।
EPS = Net Income / Average Number Of Share Outstanding
EPS= 50 करोड़ ÷ 4 करोड़
EPS= 12.5 

अब ऐसे में कंपनी का EPS 12.5 हैं और कंपनी के एक शेयर की करंट कीमत 50 रूपये हैं तो PE Ratio इस प्रकार होगा.
PE Ratio= Share Price / EPS
PE रेश्यो = 50 ÷ 12.5 = 4 होगा।

पी ई रेश्यो के प्रकार ( PE Ratio Ke Parkar )

PE Ratio दो प्रकार के होते हैं. जिसके आधार पर PE Ratio निकाला जाता हैं।
  • Trailing PE Ratio
  • Forward PE Ratio
👉 ट्रैलिंग पीई रेश्यो- यह PE Ratio कंपनी के पिछले कुछ वर्षो के EPS ( Earning Per Share ) के आधार पर निकाली जाती हैं. जो कि अधिक सटीक होता हैं, फॉरवर्ड पीई रेश्यो से यह कंपनी की वास्तविक स्थिति को बताता है, इस PE Ratio को कंपनी के शेयर की करंट मार्केट प्राइस में पिछले कुछ वर्षों जैसे 1, 3, या पांच वर्षो में होने वाली EPS से भाग देकर निकाला जाता हैं।

👉 फॉरवर्ड पीई रेश्यो- जब आप किसी कंपनी के भविष्य की जानकारी जानना चाहते हों तो इसके लिए आपकों Forward PE Ratio निकालना होगा. किसके लिए आपको आने वाले समय में कंपनी का EPS का अनुमान लगाना पड़ता हैं, यह Trailing PE Ratio की तरह सटीक नहीं होता हैं, लेकिन कुछ मामलों में सटीक बैठ सकता हैं. इस PE Ratio को कंपनी के शेयर की करंट मार्केट प्राइस में आने वाले समय में अनुमानित कंपनी के EPS से भाग देकर निकाला जाता हैं।

शेयर मार्केट में PE Ratio महत्वपूर्ण क्यों होता हैं

स्टॉक मार्केट में निवेशक के लिए PE Ratio बहुत महत्वपूर्ण होता हैं क्यों चलिए जानते हैं।
  • एक ही फंडामेंटल वाली दो या दो से अधिक कंपनियों की तुलना करनें के लिए PE Ratio काम आता हैं. जिससे पता चलता है. कि किस कंपनी का शेयर सस्ता है और किसका महंगा।
  • PE Ratio से यह पता चलता हैं की किसी भी कंपनी का शेयर अपने प्रॉफिट के मुकाबले सस्ता है या महंगा।
  • किसी भी कंपनी के पिछले कुछ वर्षो के PE Ratio को देखकर निवेशक यह निर्णय लेता है की कंपनी निवेश करने योग्य हैं या नहीं।
इस लिए देखा जाए तो शेयर मार्केट में निवेशक के लिए PE Ratio बहुत महत्वपूर्ण होता है. कंपनियों को समझने के लिए।

PE Ratio का उपयोग किस प्रकार करें ( P/E Ratio Use In Hindi )

किसी भी प्रकार के इन्वेस्टमेंट करने में P/E Ratio का उपयोग किया जा सकता हैं. ज्यादा निवेशक इस रेश्यो का उपयोग शेयर मार्केट में शेयर के बारे में यह जानकारी लेने के लिए करते हैं. की शेयर कितना सस्ता या महंगा है. जो की बहुत जरूरी भी हैं अगर आप किसी भी कंपनी में निवेश करने की सोच रहे हों।

लेकिन PE Ratio का उपयोग कब, कहा और किस प्रकार करना चाहिए चलिए एक आसन उदाहरण से समझते हैं।

उदाहरण- मान लेते हैं. आप के पास 10 लाख रूपये है, और आप उन पैसों को कही इन्वेस्ट कर हर महीने कुछ रूपये कमाना चाहते हों पर आपकों समझ नही आ रहा की आप पैसे कहा इन्वेस्ट करें तभी आपका एक दोस्त आपको बताता है. की मार्केट में दो कपड़ो की दूकान बिक रही  है, A और B तुम उनमें से एक दूकान खरीद लो और उसे किराए में लगा हर महीने किराए से पैसे कमाओं, अब आप दोनों दुकानों के बारे में पता करते हो तो एक दूकान का मूल्य 8 लाख हैं, तो दूसरी का 10 लाख अब मैं आप से कहूं की आप कौन सी दूकान खरीदोगे तो आप भी कहोगे की A यानी 8 लाख वाली क्योंकि वो सस्ते में मिल रही हैं।

लेकिन यहां पर समझने वाली बात यह हैं की इन्वेस्टमेंट में सिर्फ प्राइज देख कर ही फैसला लेना बेवकूफी भरा फैसला हैं. आपको प्राइस के साथ Earning को भी देखना हैं।

जब आप A और B दोनों दुकानों की अर्निंग देखते हों तो आपको पता चलता हैं. की A दुकान जो की 8 लाख में मिल रही हैं उसकी हर महीने अर्निग 10 हजार हैं, और B दूकान जो 10 लाख में मिल रही हैं उसकी हर महीने Earning 15 हजार हैं. तो अब आप किस दूकान में इन्वेस्टमेंट करेगे यही पर PE Ratio काम आता हैं. जो निवेशक को सही फैसला लेने में मदद करता हैं।

अब आप दोनो दुकानों का PE Ratio निकालने की सोचते हो  जिससे की आपकों यह पता लग सके की कौन सी दुकान का महंगी है और कौन सी सस्ती

👉 दुकान A का मूल्य 8 लाख हैं, और महीने की इनकम 10 हजार हैं. तो PE Ratio के फॉर्मूले के अनुसार P/E= 8 लाख/10 हजार  यानी PE Ratio= 80

👉 दुकान B का मूल्य 10 लाख हैं, और महीने की इनकम 15 हजार हैं. तो PE Ratio के फॉर्मूले के अनुसार P/E= 10 लाख / 15 हजार यानी PE Ratio= 66.6 

PE Ratio निकालने के बाद अब आपको समझ आ गया होगा की वैल्यूएशन के हिसाब से दुकान B दुकान A से सस्ती है. जो तब आपके लिए गलत इन्वेस्टमेंट हो जाता जब आप सिर्फ़ प्राइज देख कर दुकान A को खरीद लेते।

PE Ratio निकालने के बाद आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लिए दुकान B मिल गईं जो एक अच्छी इन्वेस्टमेंट होगी।

लेकिन यह भी ध्यान रखे की अगर आप PE Ratio दो या उससे अधिक कंपनियों के बीच निकाल रहें हों तो ऐसे में आपको ऐसी कंपनियों को चुनना होगा जो एक ही सेक्टर की हो।

ध्यान दे- ऊपर बताए गए उदाहरण से हमनें यह सीखा की किसी भी इन्वेस्टमेंट में कभी भी प्राइस देख कर ही फैसला नहीं लिया जाता बल्की रिटर्न भी देखा जाता हैं, केवल प्राइज देख कर इन्वेस्टमेंट करने से हमें हमें हमेशा घाटा होता हैं. ठीक यही बात स्टॉक्स मार्केट में भी लागू होती हैं. क्योंकि शेयर मार्केट में आने वाले नए लोग सिर्फ शेयर का चार्ट देख कर ही उसमें इन्वेस्टमेंट कर देते हैं. या वो दो ऐसी कंपनियों की आपस में तुलना कर इन्वेस्टमेंट कर देते हैं जो एक इंडस्ट्री की हैं ही नहीं जिससे उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ता हैं।

शेयर मार्केट में Current PE Ratio का Historical Average PE Ratio से तुलना

शेयर मार्केट में PE Ratio को उपयोग करने का एक और तरीका हैं, जिसमें हम कंपनी की करंट पी ई रेश्यो के साथ हिस्टोरिकल एवरेज पी ई रेश्यो यानी कंपनी के पिछले कई वर्षो के एवरेज पी ई रेश्यो की साथ तुलना करते हैं।

उदाहरण- मान लीजिए की X कंपनी का करंट पी ई रेश्यो 15 हैं और पिछले 10 वर्षो का एवरेज पी ई रेश्यो 30 रहा हैं. तो हम यह कह सकतें हैं की X कंपनी अपने हिस्टोरिकल प्राइस से काफी कम दाम में मिल रही हैं।

ध्यान दे - यहां पर हमनें यह तो जान लिया की X कंपनी अपने हिस्टोरिकल प्राइस से कम दाम में मिल रही हैं. लेकिन यहां पर हमें यह समझना बहुत जरूरी हैं. की अगर कंपनी पिछले वर्षो जैसा ही परफॉर्म कर रही हैं या उससे अच्छा कर रही हैं. तो इस X कंपनी को PE Ratio 15 में Buy करना आपके लिए अच्छा निवेश माना जाएगा।

इसके अलावा अगर मान ले की X कंपनी का PE Ratio 15 की जगह 40 होता तो ऐसे में वो अपने Historical Average PE Ratio से ज्यादा होता यानी की X कंपनी का अपने हिस्टोरिकल प्राइस से बहुत ज्यादा दाम में मिल रही होती ऐसे में इस कंपनी में निवेश करना आपका गलत फैसला होता।

PE Ratio का उपयोग करने में ध्यान देने योग्य बातें

  • PE Ratio एक बहुत ही महत्वपूर्ण  वित्तीय रेश्यो हैं लेकिन इसका उपयोग हर निवेशक को संभल कर करना चाहिए।
  • कंपनी का PE Ratio देखते समय हमें उस कंपनी के पीछे कुछ वर्षो की ग्रोथ में भी ध्यान देना चाहिए।
  • आपकों कंपनी के हिस्टोरिकल पी ई रेश्यो को भी ध्यान में रखना चाहिए तब जाकर आप PE Ratio का बेहतर तरीके से उपयोग कर पाओगे, और एक अच्छी कंपनी निवेश के लिए ढूंढ पाओगे।
अभी तक हमनें यह जान लिया की PE Ratio Kya Hota Hai, PE Ratio Meaning In Hindi, PE Ratio निकालने का फॉर्मूला क्या होता हैं. तथा पी ई रेश्यो का उपयोग कैसे करें जो आपको अच्छे से समझ आ गया होगा तो चलिए अब जानतें है. की PE Ratio का यूज कर कैसे पता करें की कौन सा शेयर सस्ता है और कौन सा महंगा।

PE Ratio से यह कैसे पता करें की कौन सा शेयर महंगा है और कौन सा सस्ता 

सबसे पहले तो आपको बता दे की अगर आप शेयर मार्केट में नए हों तो आपकों यह पता होना चाहिए की कभी भी हमें दो कंपनियों की आपस में तुलना करनी है तो यह देखना होगा की दोनों कंपनियां एक ही इंडस्ट्री की हों क्योंकि बहुत सारे नए लोग अलग - अलग इंडस्ट्री की कंपनियों की आपस में तुलना करते हैं जो की गलत है।

मान लीजिए एक कंपनी A हैं. जिसके शेयर का करंट प्राइस 100 रूपये है और इसका EPS 10 हैं तो इसका PE Ratio होगा।
PE Ratio= 100/10 = 10

अब आपको यह पता करनें के लिए की यह जो P/E 10 आया है. यह महंगा है या सस्ता के लिए आपकों इस कंपनी की तुलना Same Industry की 1, 2 या उससे ज्यादा कंपनियों के साथ कर सकतें हों।

मान लो दूसरी कंपनी B हैं. जिसके शेयर का करंट प्राइस 200 रूपये है और इसका EPS 10 हैं तो इसका PE Ratio होगा।
PE Ratio= 200/10 = 20

इसी प्रकार तीसरी  कंपनी  C हैं. जिसके शेयर का करंट प्राइस 300 रूपये है और इसका EPS 15 हैं तो इसका PE Ratio होगा।
PE Ratio= 300/15 = 20

अब हमें तीनो कंपनियों A,B,C का सेक्टर PE देखना होगा अगर यह तीनों कंपनी textile यानी कपड़ा सेक्टर की कंपनी हैं. जिनके Secter का एवरेज P/E 15 हैं. तो आप खुद अंदाजा आ जाएगा की कौन सी कंपनी का शेयर Undervalued हैं. और कौन सा Overvalued हैं।

जैसे की सेक्टर P/E 15 को देख कर देखा जाएं तो कंपनी A जिसका PE Ratio 10 हैं उसका शेयर सस्ता है, कंपनी की वैल्यू के हिसाब से जबकि कंपनी B और C का PE Ratio 20 हैं किसका शेयर थोड़ा महंगा है कंपनी की वैल्यू के हिसाब से

फिर भी इसका मतलब यह नहीं की अगर शेयर सस्ता है यानी Undervalued हैं. तो वो अच्छा ही होगा या जो शेयर मंहगा है या Overvalued हैं. वो अच्छा नहीं होगा क्योंकि कभी अगर कंपनी अचानक तेजी ग्रोथ करती हैं तो इन्वेस्टर शेयर को हाई वैल्यू पर भी खरीदने के लिए तैयार होते हैं क्योंकि यह उनके लिए अच्छा सौदा होता है।

अब अगर आपने इस लेख को यहां तक पढ़ दिया है तो आपके मन में एक सवाल यह उठ रहा होगा की आखरी शेयर को किस वैल्यूशन में खरीदे Low PE Ratio पर या High PE Ratio पर तो चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं।


PE Ratio देख कर किस कंपनी में निवेश करें

किसी भी कंपनी के P/E यानी प्राइस टू अर्निग रेश्यो को देख कर हम यह अनुमान लगा सकतें हैं. की किस कंपनी के शेयर में हमें निवेश करना हैं, जिसके लिए हमें कुछ बातों का ध्यान और रखना होगा क्योंकि अगर आप सोच रहें हो की कम PE Ratio वाली कंपनी अच्छी हैं तो यह आपकी गलत सोच हो सकती हैं. चलिए कुछ उदाहरण से समझते हैं।

उदाहरण - मान लेते हैं 4 कंपनियां A, B,C,D है. जिनका 3 साल के फाइनेंशियल इस प्रकार हैं।
कंपनी Aपहले साल दुसरे साल तीसरे साल
शेयर प्राइस 300310320
EPS 303132
P/E101010
कंपनी Bपहले सालदुसरे साल तीसरे साल
शेयर प्राइस2006001800
EPS102040
P/E203045
कंपनी Cपहले सालदुसरे साल तीसरे साल
शेयर प्राइस300020001000
EPS15012070
P/E2016.614.2
कंपनी Dपहले सालदुसरे साल तीसरे साल
शेयर प्राइस1505001700
EPS2050110
P/E7.51015.4

अगर हम कंपनी A की बात करें तो वो Low P/E और Low Growth के साथ चल रहीं हैं. ऐसे में अगर आप इसके PE Ratio को देख कर अगर इसमें इन्वेस्टमेंट करते हों तो आपकों ज्यादा कुछ फायदा नहीं होगा क्योंकि इस कंपनी को देख कर ऐसा लगता हैं की यह मात्र 10 % में ही हमेशा ग्रोथ करते रहेगी।

और अगर हम कंपनी B की बात करे तो वो High P/E और High Growth के साथ चल रही हैं. ऐसे में अगर आप इसके PE Ratio को ज्यादा समझ रहें हों तो यह गलत है क्योंकि जिस तरह इसका PE रेश्यो बढ़ रहा हैं देखा जाएं तो इसका शेयर प्राइस और EPS भी तो बढ़ रहा हैं. यानी की यह कंपनी आने वाले समय में अगर 100% या फिर 50% भी ग्रोथ करती रहीं तो भी जो 45 का PE हैं वो जस्टिफाई हो सकता हैं. यानी की देखा जाएं तो इस कंपनी में निवेश किया जा सकता हैं।

अब अगर हम तीसरी कंपनी C की बात करें तो वो Low P/E और Negative Growth के साथ चल रहीं हैं किसका शेयर प्राइस भी समय के साथ घट रहा हैं, EPS भी घट रहा हैं यथा PE Ratio भी तो ऐसी कंपनी में भी केवल PE Ratio को देख कर निवेश नहीं किया जा सकता क्योंकि Growth भी बहुत मायने रखता हैं।

अब हम चौथी कंपनी D की बात करें तो इसका P/E तो Moderate यानी मध्यम चाल से चल रहा है. लेकिन कंपनी की ग्रोथ High चल रहीं हैं. अब ऐसा कई बार चक्रीय उद्योग यानी Cyclical Industry के अंतर्गत होता हैं. यानी अगर कंपनी को एक दो सालों के अंतर्गत अच्छे कॉन्ट्रेक्ट मिल गए तो उसकी ग्रोथ तो तेजी से बढ़ेंगी लेकिन इंडस्ट्री उस कंपनी के P/E Ratio को कम ही रखेगी क्योंकि जरूरी तोड़ी ना है. की कंपनी को पिछले सालों में जितने कॉन्ट्रेक्ट मिले उतने ही या उससे ज्यादा आने वाले सालों में मिले।

तो अब आपकों किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले यह देखना आ गया होगा की कंपनी का P/E Low हैं तो क्यों हैं, और अगर P/E High है तो क्यों हैं।

शेयर का P/E Low क्यों होता हैं

देखा जाएं तो किसी भी शेयर का P/E Low होने के पीछे कुछ कारण हों सकतें हैं, जो निम्न हैं।
  • Stock is Undervalued
  • Low Growth
  • Future Prospects Not Great

शेयर का P/E High क्यों होता हैं

देखा जाएं तो किसी भी शेयर का P/E High होने के पीछे कुछ कारण हों सकतें हैं, जो निम्न हैं।
  • Stock Is Overvalued
  • High Growth
  • Great Future Prospects

PE Ratio कैसे चेक करें 

अगर आपकों किसी भी कंपनी का PE Ratio चैक करना हैं तो इसके लिए आपकों पहले तो उस इंडस्ट्री में मौजूद दूसरी कंपनी का PE चैक करना हैं या उस इंडस्ट्री का P/E एवरेज निकाल लेना हैं. तभी आपको पता चलेगा की कंपनी का शेयर अंडर वैल्यूड हैं या ओवरवैल्यूड दुसरा आपको इस बारे में जानना हैं की आखिर उस कंपनी का P/E  Low या High क्यों हैं. तीसरा आपको यह जानना हैं की उस कंपनी की ग्रोथ Sustainable यानी टिकाऊ है या Temporary हैं।

यह सभी कमा आप कुछ वेबसाइट जैसे Moneycontrol या Screener जैसी वेबसाइट से आसानी से कर सकतें हों यहां आपको बस कंपनी का नाम डालना हैं. जिसके बाद उस कंपनी का EPS , शेयर प्राइस , PE Ratio, आदि जानकारी दिख जायेगे।


FAQ:- PE Ratio Kya Hota Hai

पीई रेश्यो का फुल फॉर्म क्या होता हैं?
Price To Earning Ratio पीई रेश्यो का फुल फॉर्म होता हैं।

PE Ratio कैसे निकाला जाता हैं?
कंपनी के शेयर के करंट प्राइस में EPS यानी Earning Per Share का भाग देकर इसे निकाला जाता हैं. जिसका फॉर्मूला PE Ratio= शेयर प्राइस/ EPS होता हैं।

क्या सिर्फ P/E  जान कर ही कंपनी में इन्वेस्ट करना सही है?
नहीं यह बिल्कुल भी सही नहीं यह एक वित्तीय अनुपात हैं जो आपको सिर्फ अनुमान दे सकता हैं, बाकि इसके अलावा भी बहुत सारे पैरामीटर देखने होते हैं अगर किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना हैं तो P/E मात्र एक डाटा होता हैं. जिसे समझना भी जरूरी होता हैं।

PE Ratio कितना होना चाहिए?
किसी भी कंपनी का PE Ratio कोई फिक्स नहीं होता ।

PE Ratio निकालने का फॉर्मूला क्या होता हैं?
अगर आप किसी भी कंपनी का PE Ratio निकालना चाहते हों इसके लिए यह फार्मूला होता हैं, PE Ratio = Share Price / Earning Per Share

शेयर के दाम कब बढ़ते हैं?
जब शेयर की मांग बढ़ती है, लेकिन आपूर्ति कम होती है उस कंडीशन में शेयर के प्राइस बढ़ जाते हैं।



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निस्कर्ष-

आज के इस ब्लॉग लेख में हमनें जाना की PE Ratio Kya Hota Hai, PE Ratio Meaning in Hindi , PE Ratio कितना होना चाहिए , पीई  रेश्यो कितना होना अच्छा माना जाता हैं. PE Ratio का उपयोग कैसे करें, शेयर का PE Ratio कितना होने पर उसे खरीदें आदि बहुत सारी जानाकारी.
आशा करते हैं आपकों यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी और P/E Ratio से सम्बन्धित आपके सवालों के जवाब आपकों इस लेख से मिल गए होगें अगर अभी भी इस लेख से सम्बन्धित आपके कोई सवाल हैं तो आप कमेंट में पुछ सकतें हो हम आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेगें ' धन्यवाद आपका दिन शुभ हों '

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