नमस्कार दोस्तों आज हम इस blog पोस्ट में बात करेंगे Equity Fund के बारे में आज बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता ही Equity Funds क्या होते है शायद आपको भी नहीं पता होगा की इक्विटी फण्ड क्या है ( What is Equity Fund in Hindi )? ओर Equity Fund के प्रकार कितने होते है, तो दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इक्विटी फंड्स से सम्बंधित पुरी जानकारी देंगे ताकी Equity Fund से जुड़े सारे सवालों के जवाब आपको यही मिल सके.
Equity Fund की जानकारी |
इक्विटी फण्ड क्या है? Equity Fund Kya Hai
Equity Fund में Invest का ज्यादातर हिस्सा शेयर बाजारों में निवेश कर दिया जाता है. इसलिए यह Mutual Funds उन निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हों सकता है जो की शेयर बाजार में जोखिम उठाने के लिए भी तैयार रहते है. क्योंकि इक्विटी फण्ड में जितना ज्यादा मुनाफा है यह उतना ही ज्यादा जोखिम भरा भी हों सकता है |
इक्विटी फण्ड के माध्यम से द्वितीयक बाजार में इक्विटी से संबंधित वस्तुओं में Invest करा जाता है. Equity Funda जोखिम के साथ उच्च - साथ उच्च रिटर्न भी देते है. अधिकाँश इक्विटी फंड्स में कंपनियों के Market Capitalization ( बाजार पूंजीकरण ) के अनुसार निवेश किया जाता हैं. आसान शब्दों में समझें तो जो फंड्स शेयर बाजार में निवेश करते है वो इक्विटी फंड्स कहलाते है. इनमे ज्यादातर लोग कम समय में अधिक से अधिक लाभ कमाने की सोच के साथ Invest करते है.
Equity Funda के प्रकार
Equity Funds का वर्गीकरण कई प्रकार से हों सकता है, पर इक्विटी फंड्स अधिकांशतः Large Cap, Mid Cap, और Small Cap में बंटे होते हैं. पर इनके आलावा भी कई और फंड्स होते है जैसे डाइवर्सिफाईड फंड्स और सेक्टर फंड्स, आइये जानते है इस सभी फण्ड के बारे में.
1- Large Cap Equity Funds ( लार्ज कैप इक्विटी फण्ड )
लार्ज कैप इक्विटी फंड्स को ज्यादातर बड़ी कंपनियों में ही Invest किया जाता हैं. ये कंपनियाँ अपने क्षेत्र में अच्छी तरह से स्थापित होती है यानी की इनका Market Capitalization अच्छा होता है जिससे लार्ज कैप इक्विटी फण्ड के डूबने की सम्भावना नयी या फिर कम मार्किट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों की अपेक्षा कम होती है.
इसी वजह से लार्ज कैप वाली कंपनियों को Invest के लिए सुरक्षित समझा जाता है. लार्ज कैप में होने की संभावना केवल बड़ी कंपनियों की ही होती है.इसी लिए लार्ज कैप फंड्स को ऐसे Equity Investers के लिए उपयुक्त माना जाता है जो की इक्विटी फंड्स में अधिक रिस्क लेना नहीं चाहते, जिससे ये फण्ड कम जोखिम के साथ निवेशकों को साधारण रिटर्न प्रदान करते है.
2- Mid Cap Equity Funds ( मिड कैप इक्विटी फण्ड )
मिड कैप इक्विटी फंड्स में ज्यादातर उन कंपनियों को ही टारगेट किया जाता है जों मध्यम आकार की होती है,और इन्ही मध्यम आकर की कंपनियों में निवेश किया जाता हैं. इन कंपनियों में निवेश करने पर कुछ जोखिम शामिल होता है. क्योंकि हो सकता है कि कंपनी भविष्य में अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार प्रदर्शन न कर पाये और आपको अपने निवेश किये पैसे को खोना पड़े, पर इस तरह के फंड्स में निवेश करने से आपको फायदा भी अच्छा हो सकता है. यदि निवेश की हुयी कंपनी आगे चल कर भविष्य में विकसित हो जाती है और एक Large Company बन जाती है. तो आपको बहुत अच्छा मुनाफा हो सकता है और यह आपके लिए काफी लाभप्रद भी हो सकती है. वो निवेशक जो अधिक जोखिम बर्दाश्त करने की क्षमता रखते है वो इस तरह के Equity Funds में निवेश करते है.
3- Small Cap Equity Funds
जिन Mutual Fund योजना के द्वारा सिर्फ छोटी कम्पनियों के शेयर/स्टॉक्स में ही अपना ज्यादातर पैसा निवेश किया जाता हैं उस तरह के म्यूच्यूअल फण्ड को स्माल कैप इक्विटी फण्ड कहा जाता है.
इस तरह की योजनाओं के मेनेजर अपने फंड्स का ज्यादातर हिस्सा या फिर पूरा का पूरा पैसा ही सिर्फ छोटी कम्पनियों में निवेश करते है. इसी वजह से इस तरह के स्कीम में किया गया निवेश, मिड कैप और लार्ज कैप फंड्स की तुलना में बहुत ज्यादा जोखिम भरा होता है लेकिन स्माल कैप इक्विटी फण्ड से मिलने वाला मुनाफा लार्ज या मिड कैप योजना की तुलना में कई गुना ज्यादा हो सकता है.
Small Cap कंपनियों में निवेश करना इसलिए भी जोखिम भरा होता है क्योंकि इन कम्पनीयों के बारे में बहुत ही कम जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होती है. स्माल कैप इक्विटी फण्ड केवल उच्च जोखिम उठाने की क्षमता रखने वाले निवेशकों के सही होता है
4- सेक्टर फण्ड (Sector Funds)
सेक्टर फण्ड से यह तात्पर्य है की किसी सेक्टर में निवेश करना . इस funds में सिर्फ किसी विशेष क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में ही निवेश किया जाता हैं. क्योंकि सेक्टर फण्ड में किया गया निवेश सिर्फ एक ही क्षेत्र पर केंद्रित रहता है इसलिए फण्डस की दुनिया में सेक्टर फण्ड को बहुत ज्यादा जोखिम भरा माना जाता रहा है.
सेक्टर फण्ड में फण्ड का मैनेजर अपनी बुद्धिमता के अनुसार किसी ऐसे सेक्टर को चुनकर उसमें निवेश करता है, जिसमे मुनाफे की संभावना सबसे अधिक होती है उदाहरण के तौर पर अगर रियल एस्टेट सेक्टर फण्ड को निवेश करना है तो वो केवल रियल एस्टेट कंपनियों में ही निवेश करेगा. Investers को सेक्टर फण्ड में निवेश करने से बचना चाहिए क्योंकि इस तरह के फंड्स का कोई भरोसा नहीं होता अगर आप इसमें निवेश करना चाहते है तो आप पहले कुछ ही पैसे इस fund में निवेश करें.
5- ELSS या Tax Saving Funds:
इक्विटी लिंक्ड सेविंग योजना या टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड्स Investers के लिए Income tax में छूट प्राप्त करने का तरीका है. Income tax act की धारा 80C के तहत करों में छूट प्रदान की जाती है.
इन फंडों में Invest किये गए 1.5 लाख रुपये तक की रकम टैक्स में कटौती के लिए सक्षम हैं. इस तरह के फण्ड तीन साल के Lock-in पीरियड के साथ आते है. लॉक इन पीरियड से तात्पर्य यह है की निवेश करने के बाद 3 Yeair तक इन फंड्स को निकाला नहीं जा सकता और तीन साल की समय - सीमा पूरी होने के बाद ही इस Funds को निकाला जा सकता है.
6- डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड
ये Equity Funds सभी क्षेत्रों में निवेश करते हैं इसका मतलब यह है कि ये फंड केवल कुछ विशेष प्रकार के Shares में निवेश करने के लिए प्रतिबंधित नहीं हैं इनके पास निवेश के काफी option होते है. और उनकी वजह से यह Large कैप कंपनी, Mid कैप कंपनी, और Small कैप कंपनियों आदि में Invest करते रहते हैं.
ये Fund विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न उद्योगों की Company में Invest करती है. आसान शब्दों में इस तरह के Investment Economy के किसी भी विशेष भाग में Investment तक सीमित नहीं है.
Equity Funds के लाभ
इक्विटी फंड से भी वही लाभ मिलते हैं जो हमें Mutual fund मे मिलते हैं। जैसे इन्वेस्ट में आसानी, पारदर्शिता, कम जोखिम आदि। इक्विटी फंड में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपको Stock और Secter में निवेश करने के लिए चिंता नहीं करनी पड़ती, क्योंकि यह सब काम फंड मैनेजर द्वारा किया जाता है।
Equity Funds में निवेश कैसे करें जाने
इक्विटी फंड में निवेश करना बहुत आसान है, इसके लिए आपको या तो किसी ब्रोकर या एजेंट के जरिए निवेश शुरू करना है, या फिर खुद Online Invest शुरू करना होगा.
अगर आप बाजार में नए हों तो आपको किसी ब्रोकर की मदद से ही इसमें निवेश करना चाहिए क्योंकि ब्रोकर द्वारा आपको निवेश और फण्ड से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाती है.
ब्रोकर इसके लिए आपसे कुछ फिस चार्ज करेगा पर एक सहूलियत भी रहती है की हम किसी एक्सपर्ट की सहायता से निवेश कर रहे है इसके विपरीत Online या फिर Direct निवेश में आप अपनी गतिविधियों के खुद ही जिम्मेदार होते है. क्योंकि इसमें किसी ब्रोकर या एजेंट की मदद नहीं ली जाती है.
इसमें निवेश के लिए आप किसी Company जैसे रिलायंस आदि की म्यूच्यूअल फंड्स की वेबसाइट पर जाकर आसानी से अकाउंट बना सकते है और निवेश शुरू कर सकते है. इन वेबसाइट पर आपको KYC , बैंक डिटेल्स आदि जानकारी देनी पड़ेगी जो जब आप फंड्स खरीदेंगे उनके इस्तेमाल में लायी जायेगी.
डायरेक्ट निवेश में आप खुद अपनी इच्छा के अनुसार फंड्स खरीद सकते हों या फिर बेच सकते हों. जिससे ब्रोकर की जरुरत नहीं पड़ती उससे होता ये है की आप ब्रोकर को देने वाले अतरिक्त राशि की भी बचत करते है और आप चाहे तो बचें पैसे को फंड्स खरीदने में लगा सकते है.
डायरेक्ट निवेश के जरिये आप कभी भी निवेश कर सकते है. इसमें समय - सीमा तय नहीं है आप किसी भी समय ओर किसी भी जगह से आसानी से निवेश कर सकते हों.
Equity Funds में निवेश करने के लिए टॉप इक्विटी फण्ड
भारत में कई सारी कंपनियों के इक्विटी फंड मौजूद हैं, अब सवाल आता है कि हम किस कंपनी के फंड में Invest करें तो हम आपको कहना चाहेगे की जिस कंपनी के इक्विटी फण्ड आपको लगता है की फायदेमंद होगें तो आप उसमें निवेश कर सकते हों निचे हमनें कुछ कम्पनीयों के बारे में बताया है
टॉप 5 फंड्स जो आपके निवेश के लिए फायदेमंद हो सकते है.
1) SBI BlueChip Fund-Regular (D)
2) Birla SL Frontline Equity Fund (D)
3) Franklin India Prime Plus Fund (D
4) Meera Asset Opportunities Fund-Regular (D)
5) HDFC Mid Cap Fund (D)
अगर आप इन फंड्स में Invest करते हों तो आपको अच्छा मुनाफा हों सकता है |
Equity Fund में सफलतापूर्वक निवेश करने के लिए fund के बारे में काफी रिसर्च करने की जरुरत होती है जैसे उस कंपनी की आर्थिक स्थिति की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ले. तब जाकर सोच समझ कर ही Equity Fund में Invest करें.
FAQ: Equity Fund Kya Hai
- बैलेंस फण्ड
- गिल्ट फण्ड
- डेब्ट फण्ड
- लिक्विड फण्ड
- ग्रोथ फण्ड.
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