आज हम इस पोस्ट में एक छोटी सी कविता ( मन पर कविता ) लाये है, जो आपको जरूर पसंद आएगी, मन तो चंचल है, यह एक जगह नहीं रुकता यह अपने अंदर अनेक अभिलाषा ये रखता लेकिन जिसने अपने मन पर काबू कर लिया उसे सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि वह अपने मन सही जगह लगाएगा न की गलत
मन पर कविता ( poem on mind ) |
मन पर कविता - मन घूम रहा यहाँ वहाँ
मन घूम रहा यहाँ वहाँ,
मन से तेज कौन चला,
कभी डाल-डाल कभी पात-पात,
कभी पहुँच जाये दुनिया पार|
मन घूम रहा यहाँ वहाँ,
मन से तेज कौन चला,
मै बैठा हुँ यहाँ पर,
मन न जाने कहाँ पर|
सोचते हें हम जो भी,
मन हमें वो दिखलाता,
जाना चाहे कही भी हम,
मन वहाँ हमें पहुँचाता,
मन घूम रहा यहाँ वहाँ,
मन से तेज कौन चला|
दुःख भी सुख में बदल जाये,
तुम अच्छी सोच रखो मन में,
हर मुकाम तक पहुँच जाओगे,
तुम मेहनत तो करो मन से|
न रखो मन में छल कपट,
मन को स्वच्छ रखो तुम,
मदद करते रहो सबकी,
न मदद से पीछे हटो तुम,
मन घूम रहा यहाँ वहाँ,
मन से तेज कौन चला|
सत्य के राह में चलो,
मन को अपने निर्मल करो,
बुरी आदतों को मिटाने का,
हर रोज तुम प्रयत्न करो,
मन घूम रहा यहाँ वहाँ,
मन से तेज कौन चला|
मन को काबू करना,
जब तुम्हे आ जायेगा,
सफलता पाने से तुम्हे,
कौन नहीं रोक पायेगा|
Poem on Mind
दुःख में दुःखी हों जाते हम ओर,
सुख में हों जाते हें खुश,
ये मन ही तो है जो एहसास कराये,
सुख है या जीवन में दुःख|
प्यारे - प्यारे रिश्तो के,
तार जुड़े हमारे मन से,
मुसीबत आये उन पर तो,
फिर क्यों न लड़े हम,
उनकी मुसीबतों से |
घायल हो जाये तन से जरूर,
पर मन को न घायल होने देंगे,
प्यार के सिवा इस मन में कभी,
न थोड़ी सी भी नफरत रहने देंगे |
मन से हों मजबूत हम तो,
हर मुसीबत से लड़ लेगे,
मन ही कमजोर कर देंगे तो,
मुसीबतों से कैसे जीतेंगे|
कोई न जाने किसके मन में क्या चल रहा जिसके चल रहा वो ही नहीं समझ रहा कभी खुश हों जाता मन तो कभी दुःखी हों जाता है, हर जगह ये मन अलग अलग सोच दिखाता है|
आपको ये कविताएँ भी पढ़नी चाहिए
दोस्तों आपको मन पर कविता ( Poem on Mind ) कैसे लगी अगर अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर जरूर करें, ओर कमेंट बॉक्स में अच्छे - अच्छे कमेंट डाल करें हमें भेजे हम ऐसी ही कविताएँ आपके लिए लाते रहेंगे आपका इस कविता को इतना प्यार देने के लिए ' धन्यवाद '
Please do not enter any spam link in the comment box.