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कुत्ते पर कविता : Poem on Dog

V singh
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Poem On Dog In Hindi:- आज हम इस पोस्ट मे कुत्ते पर कविता जिसका नाम मेरा प्यारा कुत्ता  लाये है, जो मैंने अपने प्यारे कुत्ते कालू की  याद मे लिखी है आपको पसंद आये तो शेयर जरूर करें,
कुत्ता (Dog) इसे सिर्फ एक जानवर नहीं कहाँ जा सकता क्योंकि इनकी वफादारी को दुनिया जानती है, ये समझदार होते है ये अपने मालिक के सुख - दुःख को समझते है, इनका अपने मालिक के प्रति प्यार अनोखा होता है, ये घर के सदस्य की तरह घर की रखवाली करते है, जिसके बदले इनको बस  का प्यार चाहिए होता है, इनकी भाषा को तो हम नहीं समझ पाते लेकिन इनका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है, मेरा भी एक कुत्ता (Dog ) था जो मुझे बहुत प्यारा था लेकिन वो मुझे छोड चला गया ।
Poem On Dog In Hindi
Pyare Kutte Par Kavita 

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कुत्ते पर कविता - मेरा प्यार कुत्ता 

दोस्त था वो मेरा,
मेरे सुख दुःख मे मेरे साथ था|

कालू था उसका नाम,
वो कितना प्यारा  कितना न्यारा था|

जहाँ मै जाऊ मेरे पीछे - पीछे आता था,
हर संकट मे वो मेरा साथ निभाता था|

न जाने वो कहाँ से आया था,
मुझे देख उसने पूछ हिलाया था|

मेरे पीछे - पीछे मेरे घर तक आया था,
मैंने ओर मेरे परिवार ने उसे अपनाया था|

देखते ही देखते वो हमारे साथ ऐसे घुल गया,
हमें हमारा एक ओर फैमिली मेंबर मिल गया|

कितना खेलते उसके साथ,
 कितनी मौज करते थे,
घर की वो रखवाली करता,
प्यार वो हमसे बहुत करता,
कालू था उसका नाम रखा,
वो कितना प्यार था कितना न्यारा था|

जाने क्या रोग लगा उसे,
उसके रोग का पता न चला|

कितने अस्पतालो के चक्कर काटे,
आश थी की वो ठीक हो जायेगा,
लेकिन उसकी किस्मत को हम कैसे बदलते,
उसके दर्द को हम कैसे बाटते|

हर संभव कोशिश करने के बाद भी,
हम उसे न बचा सके,
चला गया छोड दुनिया,
दुःखी पुरे परिवार को कर गया|

छोटी सी उम्र मे ऐसे चला गया,
बहुत सी यादें वो पीछे छोड गया,
शायद उसके पास टाइम ही इतना था,
शायद वो हमारी जिंदगी का,
एक पन्ना बनने आया था,
कालू था उसका नाम रखा,
वो कितना प्यारा कितना न्यारा था|

उसके नटखट पन को सोच,
हॅसने को मन करता है,
उसकी वफादारी सोच,
आँखे भर आती है|

अब न दिखेगा वो हमें कभी,
अब नहीं हमें देख पूछ हिलायेगा,
न वो अब हमारे पीछे आयेगा,
न भौ - भौ कर चिलाएगा|

ईश्वर से बस एक विनती है,
वो जहाँ रहे खुश रहे,
उसकी आत्मा को शांति मिले,
उसके लिए स्वर्गलोक के द्ववार खुले|🐕

Poem On Street Dog In Hindi 

क्यों मारते हों डंडे पत्थर से हमें 
हमको भी तो दर्द होता हैं
आसू हमारे भी निकलते हैं
पर पोछने कौन आता हैं।

यह दुनियां सिर्फ तुम्हारी ही थोड़ी 
 हमको भी जीने का हक हैं
न मिल रहा हमको खाना , पानी तो 
हम तुम्हारे पीछे आयेंगे ही
डंडे पत्थर से मरोगे हमें तो
बचाव के लिए हम दांत दिखाएंगे ही।

हमारी क्या गलती हैं
क्या तुम्हें भूख नहीं लगती हैं
हमारी क्या गलती हैं
क्या तुमको प्यास नहीं लगती हैं।

आपको ये कविता मेरा प्यारा कुत्ता अच्छी लगे तो इसे जरूर शेयर करें 'धन्यवाद '

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