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जंगल पर कविता | Poem on Forest

V singh
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जंगल हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण है ये हम सब जानते है, जंगल है तो शुद्ध वायु है, जंगल है तो शुद्ध पानी के स्रोत है जंगल है तो अनेकों प्रकार की जड़ी - बुटिया है, जिस प्रकार गांव , शहर पर हमारे घर है उसी प्रकार जंगल भी अनेकों प्रकार के पशु - पक्षियों का घर है, लेकिन इंसान इतना स्वार्थी हो गया है, की वो अपने स्वार्थ के चलते सरे आम पेड़ो को काट रहा है, जंगलों को जला रहा है  ओर वन सम्पदा को भारी नुकसान पहुंचा रहा है, जंगलों के लगाता कम होने के कारण कई पशु - पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो गई है, तो कई विलुप्त होने के कगार मे है, अपने विकास के चलते इंसान ये तक भूल गया है की जंगलों के बिना उसका जीवन भी नामुमकिन है, आज हम इस पोस्ट पर जंगल पर कविता (Poem on Forest) लेकर आए है, जो आपको जरूर पसंद आयेगी |

जंगल पर कविता ( Poem on Forest)

जंगल पर कविता ( Poem on Forest in Hindi )
जंगल पर कविता

जंगल पर कविता

 हरे भरे घने प्यारे जंगल 

हरे भरे घने प्यारे जंगल,
धरती के श्रृंगार है जंगल|

हर प्राणी का जीवन जंगल,
जड़ी - बूटियां का भंडार जंगल|

शुद्ध हवा, पानी, खाने का स्रोत जंगल,
पशु - पक्षियों का घर जंगल|

जंगल के बिना न जीवन होगा,
फिर क्यों जंगलों को काटा जाता|

क्यों बेजुबान पशु - पक्षियों को,
बेघर इस तरह कर दिया जाता|

क्यों शुद्ध पानी के स्रोतो को सूखाया जाता,
क्यों जड़ी - बूटियों को मिटाया जाता|

क्यों प्रदूषण को बुलाया जाता,
क्यों इस हरी - भरी धरती को,
जंगल काट बंजर बना दिया जाता |
                         - V singh

Poem on Forest 

खूबसूरत सा जंगल 

खूबसूरत जंगल था यहा,
चारो तरफ हरियाली थी|

हर कोने मे जीवन बसा,
वो बात ही निराली थी|

पशु-पक्षियों की आवाज,
उस जंगल मे गुजा करती थी|

पेड़ो की ऊंचाई इतनी की,
आसमान चूमा करती थी|

नदी झरने बहते थे छल-छल,
सुन्दर मछलियां जिनमे रहती थी|

अनेकों फुल खिले रहते थे,
जिनमे सुन्दर तितलिया मंडराती थी|

शुद्ध हवा देता था जंगल जिसे लेते ही,
शरीर मे ताजगी आ जाती थी|

सुखी लकड़ी तोड़ने जाते थे जब हम,
कोयल मधुर गाना गाती थी|

खूबसूरत जंगल था यहा,
चारो तरफ हरियाली थी|

हर कोने मे जीवन बसा,
वो बात ही निराली थी|

अब तो चारो तरफ बस,
खुला बंजर मैदान ही दिखता है|

न दिखता कोई पशु - पक्षी,
न कोई इंसान ही दिखता है|
          - V singh

Jungle par kavita

इंसान का विकास जंगल का नाश 

एक सुन्दर घने जंगल मे,
न जाने किसकी नजर पड़ी|

सुन्दर घने जंगल को काट दिया,
न जाने किसमे हैवानियत भरी|

उनको  इतना सुन्दर जंगल,
पसंद क्यों नहीं आया जो|

उन्होंने अपनी इच्छा के लिए,
इतने पेड़ो को काट गिरा कर,
उसकी जगह सीमेंट का शहर बनाया|

जहा न शुद्ध हवा है,
न मिलता शुद्ध पानी|

जहा जगह- जगह कूड़ा है,
हवाओ मे फैला जहर जहा,
रहते है वहा हम हैवान जो,
खुद को इंसान कहते है|

अपने विकास के चलते,
हम जंगलो मे कब्जा करते है|

जिम्मेदार प्रदूषण का,
खुद हम है ये हम जानते है|

फिर भी जंगलों को नष्ट करके, 
सबसे बड़े मुर्ख इस दुनिया के,
हम इंसान ही बन जाते है|

एक तरफ अपने विकास के चलते,
हम जंगलों को काट गिराते है|

दूसरी तरफ प्रदूषण से अपने,
शरीर को रोगी बनाते है|

तीसरी तरफ शरीर को बचाने,
के लिए बड़े -बड़े अस्पताल बनाते है|

फिर क्यों हम इंसान खुद को,
सबसे बुद्धिमान समझते है|

अगर हम बुद्धिमान होते तो,
न जगलो को ऐसे सरेआम काटते,
बल्कि अपने विकास के लिए,
एक अच्छी सी योजना बनाते|

न नुकसान होता जगलो को,
हम शुद्ध हवा में गहरी सास लेते,
शुद्ध पानी-खाने से हम अपने,
शरीर को रोगमुक्त रखते|
           - V singh

जंगल पर  कविता 

इंसान के द्वारा लगी वन की आग पर कविता

एक सुबह जंगल में ऐसी आयी,
चारो तरफ धुवे के बादल छाए |

धुवे के अन्दर से पशु - पक्षियों की,
रोने चिल्लाने की आवाजे आयी,
न जाने जंगल मे किसने आग लगायी|

किसने बीड़ी, सिगरेट बिन बुझाये फेकी,
या किसी ने बस मजे-मजे मे आग लगायी|

आग की लपटे जैसे - जैसे बढ़ती जा रही,
जगल के पशु - पक्षियों ओर,
पेड़ - पौधों  की जान जा रही|

आग जैसे- जैसे बढ़ती जा रही,
हरे-भरे जंगल को नष्ट करती जा रही|

कैसे बचाये उस जगल को,
जो हमारा जीवन है|

कैसे बचाये उन बेजुवानों को,
जो आग मे झुलस रहे है|

कुछ लोगो की गलती से एक,
सुन्दर जगल जल जाता है|

अनेको पेड़-पौधे जीव-जंतु मर जाते,
जो बचे उनका घर नष्ट हो जाता है|

भूल कर भी न करो ऐसी गलती,
जिससे जगल मे आग लग ऐसी |
                 - V singh

Van Sanrakshan Par Kavita 

जंगल बचाओ जंगल बचाओ

जंगल बचाओ जंगल बचाओ,
सब मिलकर जंगल बचाओ|

न काटो ऐसे पेड़  सरेआम,
न ही किसी को काटने दो|

घर है जंगल पशु - पक्षियों का,
पशु - पक्षियों को तुम न बेघर करो|

जंगल माफियाओ से बचाओ जंगल,
उनकी वन विभाग वालो को सुचना दो|

न देखो तुम ऐसे चुपचाप जंगल कटते,
तुम जंगल के महत्व को जल्दी समझो|

जंगल को बचाने के लिए तुम,
गोरा देवी बनकर घर से निकलो|

समझाओ सब लोगो को,
महत्व इन जगलो का,
तुम जंगल बचाने का प्रयत्न करो|

जंगल बचाओ, जंगल बचाओ,
सब मिलकर जंगल बचाओ |
                 - V singh

Jangal Par Kavita ( जंगल बचाओ  जीवन बचाओ )

न बचाओगे जंगल आज तो
कल जंगल खत्म हों जायेंगे
न मिलेगा तुम्हे खाना पानी
तुम तड़प - तड़प के मर जाओगे 
न बचाओगे जंगल आज तो
कल जंगल खत्म हों जायेंगे|

न होंगी बिन जंगल बरसात
नदी, झरने सब सुख जायेंगे
धरती का पानी खत्म हुवा तो 
तुम तड़प - तड़प के मर जाओगे 
न बचाओगे तुम जंगल आज तो
कल जंगल खत्म हों जायेंगे |

खत्म हों जायेगी बिन जंगल ऑक्सीजन 
फिर पछता कर तुम क्या कर पायेंगे
एक मिनट न मिलेगी  ऑक्सीजन तो
तुम  तड़प - तड़प कर मर जाओगे |

बीना  जंगल के गर्मी बढ़ेगी
गर्मी से कैसे बच पाओगे
पेड़ छाया के लिए तुम
किधर से ढूंढके   लाओगे
गर्मी से तड़प - तड़प कर तुम मर जाओगे|

इसलिए जंगल कों आज बचाना होगा
ओर जन - जन कों जगल का महत्व बताना होगा |
                          - V singh

जगल बचाओ पर कविता ( Poem On Forest )

कितने सालों में एक घना जगल बनता है
पर मनुष्य को इससे क्या फर्क पडता है
चाहे सुख जाये जल के स्रोत
चाहे पशु - पक्षी घर से बेघर हों जाये
पर मनुष्य को इससे क्या फर्क पड़ता है
कितने सालों में एक घना जगल बनता है
और कुछ ही दिनों में मनुष्य उसे
बंजर मैदान में बदल देता है
सुख जाते जल के स्रोत
जड़ी - बूटीया नस्ट हों जाती
न ठण्डी हवा मिलती है फिर
न शुद्ध ऑक्सीजन मिल पाती  
कितने सालों में एक घना जगल बनता है
पर मनुष्य को इससे क्या फर्क पडता है|
- V singh

जंगल पर कविता ( Poem On Jangal In Hindi )

जंगल है पशु-पक्षियों का घर
पर इंसान को ये कहा समझ आयेगा
इंसान तो लोभ लालच में 
जंगलों को नष्ट करता जायेगा
न मिलेगी शुद्ध हवा 
न खाना जल मिल पाएगा
बीमारियों के ईलाज के लिए
इंसान औषधि कहा से लायेगा
अगर जगलों को वो नष्ट करता जायेगा
आयेगे जानवर शहरों में
जब उन्हें रहने के लिए जंगल
और खाने के लिए खाना नही मिल पाएगा
इंसान अगर इन तरह जगल नष्ट करता जायेगा|

जंगल पर कविता - हरा भरा प्यार जंगल

हरा भरा प्यारा ये जंगल
पशु- पक्षियों का घर ये जंगल
जड़ी बूटियों का स्रोत ये जंगल
शुद्ध हवा का भंडार ये जंगल

जंगल को बचाना हमारी जिम्मेदारी
जंगल हैं तो हम सब हैं 
क्योंकी जंगल ही तो जीवन है 
यही से हवा यही से पानी 
यही से जड़ी बूटियां 
यही से शुरू हमारी कहानी।


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