दोस्तों आज हम बेटी पर कविता ( Poem on Daughter ) लेकर आये है, आशा करते है, आपको ये कविता जरूर पसंद आयेगी |
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बेटी पर कविता :- पिता की प्यारी बेटीबेटी पर कविता (पिता की प्यारी बेटी ) |
मेरे घर मे खुशियाँ छाई
नन्ही सी परी मेरे घर आयी
खुशी के मारे मे झूम रहा हुँ
मिठाई सबको बाँट रहा हुँ
बेटी का नाम सोच रहा हुँ
उसके जीवन के बारे मे बता रहा हुँ
वो बड़ी होंगी तो उसे सपने
देखने का अधिकार होगा
जो करना चाहेगी वो जीवन मे
उसका हर रास्ते मे साथ मै दूँगा
बेटी है वो मेरी उसको निडर है बनाऊंगा
हर अत्याचार के खिलाफ उसे
लड़ना मै सिखाऊंगा
बेटो के समान ही
बेटी को भी मानुगा
बेटा क्या कर सकता है
जो बेटी नहीं कर सकती
बेटी है यह हमारी बेटी
ये बेटो से कोई कम नहीं
ये सरहद मे पहरा देकर
दुश्मन से देश को बचाती है
ये बड़े से बड़े हवाई जहाजो को
आसमान की उचाई मे उड़ाती है
ये ओलम्पिक मे भाग लेकर
मेडिल अनेको लाती है|
हर छेत्र मे आज बेटियाँ
आसमान के बुलंदिया छू रही
ओर आज हमारी बेटियाँ
बेटो से भी आगे निकल रही
फिर क्यों कई लोगो की
सोच इतनी पुरानी है
बेटा पैदा हो तो खुशियाँ मानते
बेटी पैदा हो तो उदासी मन मे लाते
ओर बेटे को अपना वारिस बताकर
बेटी को पल भर में पराया कर देते |
बेटी शिक्षा पर कविता -" मुझे भी जाना है स्कूल "
मुझे भी जाना है स्कूल
माँ -पापा मुझे स्कूल भेजो ना
पढ़ लिख कर आपका
नाम रोशन करुँगी
मुझे आप पढ़ाओ ना
क्या हक नहीं मुझे पढ़ने का
जो मुझे आप स्कूल नहीं भेजते
भाई को तो जाने देते स्कूल
मुझे क्यों नही जाने देते
माफ कर देना बेटा हमें तुम
हमें देर हो गई ये जानने में
की बेटा, बेटी एक समान है
हमें इनमें फर्क नहीं करना चाहिए
बेटी का भी हक है पढ़ने,लिखने
खेलने, कूदने का हमें इनको
जीवन में आगे बढ़ाना चाहिए |
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बेटियों पर कविता
भगवान का आशीर्वाद है बेटियाँ
एक पिता का गुमान है बेटियाँ
माँ का प्रतिरूप है बेटियाँ
परिवार की खुशियाँ है बेटियाँ
माँ-पिता के दुःख में साथ है बेटियाँ
हर काम में मददगार है बेटियाँ
बेटो से ज्यादा प्यार की हकदार है बेटियाँ
फिर क्यों बेटीयों को
बेटो से कम आका जाता
क्यों बेटियों के सपनो को दबा दिया जाता
क्यों उनको सिर्फ कमजोर है समझा जाता
याद रखना बेटीयों को भी बेटो के समान दर्जा देना
सपने पुरे करने के लिए उनको हौसला देना
बेटे - बेटीयाँ एक समान है ये तुम समझ जाना|
Poem on Daughter Beti Bacao - Beti Padhao
क्या होती है बेटी
क्या नहीं होती बेटी
माँ की प्रतिरूप है बेटी,
पिता का गुमान है बेटी
घर को घर बनाती बेटी
घर में खुशियाँ लाती बेटी
हर दुःख मे साथ देती बेटी
माँ का हाथ बटाती बेटी
फिर क्यों इस समाज मे बेटियों
को कमजोर समझा जाता
क्यों उनके सपनो को दबाकर
उनको आगे बढ़ने से रोका जाता
क्या डर है एक आदमी को की कही
औरत उससे आगे न निकल जाये
बेटियों को भी बेटो के जैसे आगे बढ़ाना है
उनके सपनो को पूरा करने के लिए
हमें उनको पढ़ा - लिखा
हर छेत्र मे आगे बढ़ाना है,
न कभी निराश होने देना उनको
बल्कि उनका हौसला हमें बढ़ाना है
एक दिन आएगा जब आपको
अपनी बेटी के नाम से जाना जायेगा
तब बेटा,बेटी मे कोई फर्क नहीं ये
आपको समझ आयेगा इसलिए
बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ ये संदेश
जन -जन तक पहुंचाओ|
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