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कलयुग पर कविता| Poem on Kalyug

V singh
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दोस्तों जिस युग मे हम जी रहे है उसको कलयुग कहते है ओर आज हम इस पोस्ट मे कलयुग पर कविता(Poem on kalyug) लाये है आशा करते है आपको ये कविता पसंद आयेगी,
कलयुग पर कविता
(कलयुग पर कविता )

कलयुग पर कविता -

सतयुग गया त्रेतायुग गया
ओर चले गया द्वापरयुग

भगवान चले गये धरती छोड के
राज करने लगा कली पुरुष

जिसके नाम पर ही इस
युग का नाम पड़ा कलयुग

कलयुग ही ऐसा युग है जहाँ
मनुष्य की सबसे बड़ी परीक्षा है

भगवान साक्षात नहीं है यहाँ 
बल्कि उनके दिए गये ज्ञान के
रूप मे वेद, पुराणों की शक्ति है


जिनमे दिए गये ज्ञान को 
जो मनुष्य समझ जायेगा
वो भगवान की भक्ति करेगा 
ओर सत्य की राह मे आगे बढ़ेगा 

न तो अधर्म उसका कुछ बिगाड़ पायेगा
ओर न वो कभी लोभ, लालच
क्रोध,हिंसा के बस मे आयेगा

ओर जो  मनुष्य लोभ, लालच
क्रोध, हिंसा को अपनायेगा
वो अधर्म की राह मे
आगे बढ़ता जायेगा

ओर वो दिन भी दूर नहीं जब
मनुष्य शैतान बन जायेगा 
वो कली पुरुष के पाप को
 तेजी से बढ़ायेगे

ओर कलिपुरुष के साथ मिलके
इस धरती मे पाप  फैलायेगे

ओर जब इस धरती मे पाप 
हद से ज्यादा बढ़ जायेगा

तब भगवान फिर से
इस कलयुग मे जन्म लेगे
जो नारायण के अवतार
भगवान कल्कि है कहलायेगे

जो अधर्मी मनुष्यों का संगहार करेंगे
जो कलिपुरुष ओर उसकी शक्तियों
का पूर्णतः  नाश करेंगे 
ओर धर्म को इस धरती से नहीं मिटने देंगे|
-V singh

कलयुग पर कविता -कलयुग का हाल 

क्या बताऊं दोस्तों तुम्हे आज कलयुग का हाल
जहा मानव ही बन गया है आज मानव काल

न यहा सच्चे रिश्ते बचे न ही सच्चा प्यार 
सच के नाम पर  बुना जा रहा यहा बुराई का जाल

भाई - भाई झगड़ा रहे है यहा आज
जो हर मुश्किल मे कल थे एक दूसरे के साथ 

जिन माता -पिता की पुजा करनी चाहिए 
उन्ही माता-पिता को मरने के लिए
निकाल दिया जाता यहा घर से बाहर

जिस दोस्त की  दोस्ती की कभी मिसाल दी जाती थी
यहा वो ही दोस्त दोस्ती की आड मे पीठ पीछे देता खंजर मार 

यहा धर्म के नाम पर मानव का व्यापार है चलता 
यहा सत्य की आवाज को असत्य के निचे दबा दिया जाता 

यहा छोटी सी बच्ची को कोख मे मार दिया जाता
यहा हर वक्त एक दूसरे को लूटने का काम है चलता 

यहा न्याय के लिए न्यायालय के अनेकों चक्कर मारने पड़ते 
यहा योग्यता के नाम पर पैसों के बंडल देने पड़ने 

यहा पूरी धरती पर मानव ही राज करता है 
जो पशु,पक्षियों, पेड़ ,पौधों को मार के पाप करता है 

यहा मानव ही धर्म  का शत्रु बन बैठा आज 
जो लोभ, लालच, क्रोध के चलते दानव बन बैठा आज

क्या बताऊं दोस्तों तुम्हे आज कलयुग का हाल
जहा मानव ही बन गया है आज मानव का काल|
-V singh

कलयुग के  अंत पर कविता -

कोई बताएगा इस कलयुग,
का अंत कैसे होगा,
ऐसे होगा या वैसे होगा,
कलयुग अंत कैसे होगा,
जब धरती मे पाप हद से,
अधिक बढ़ जायेगा,
जब धर्म के उपासकों को,
यहा पर सरे आम मारा जायेगा,
जब अधर्म, धर्म को मिटाने,
की भरपूर  कोशिश करेगा,
जब सत्य के ऊपर असत्य,
हावी होने लग जायेगा,
जब धर्म को अधर्म के,
तराजू मे तोला जायेगा,
तब धर्म को बचाने के लिए,
भगवान फिर इस धरती मे जन्म लेगे, [
जो धर्म की रक्षा के लिए,
अधर्मियो का नाश करेगे|
   -V singh

कलयुग पर मन की बात छोटी सी कविता 

कलयुग है ये भाई कलयुग,
यहा न कोई सच्चा न कोई अच्छा,
मन में गन्दगी लिए यहा है लोग घूमते,
चेहरे में सराफत का नकाब पहने,
एक दूसरे को सरेआम लूटते,
पैसा बडा है यहा ईमान से,
मनुष्य के रूप मे यहा शैतान रहते है,
जो इंसानियत को मार,
हैवानियत मे जीते है,
यहा नहीं किसी रिश्ते,
को अच्छे से पुजा जाता है,
यहा भगवान के नाम पर,
भी एक दूसरे को लुटा जाता है,
माता -पिता को यहा,
बेटा घर से निकाल देता है,
जायदाद के चक्कर मे,
भाई -भाई से लडता झगड़ता है,
यहा दोस्ती मे दोस्त,
पीठ पीछे खंजर मार देते,
यहा पति-पत्नी सात फेरो के,
बंधन को एक झटके मे तोड देते,
यहा एक दूसरे के दुःख मे,
हसने वाले बहुत मिलते,
यहा पीठ पीछे बुराई,
करने वाले बहुत मिलते,
कलयुग है ये भाई कलयुग,
यहा इंसान नहीं शैतान है रहते,
यहा रोजाना अनेकों हत्याएं,
बलात्कार, चोरिया होती है,
यहां छोटी बच्चियों को,
कोख मे ही मार दिया जाता,
यहा जाति धर्म के नाम पर,
लोग एक दूसरे से लडते है,
यहा योग्यता के नाम पर,
पैसों के बंडल देने पड़ते,
यहा न्याय के लिए रात दिन,
न्यायालय के चक्कर काटने पड़ते 
यहा प्यासे को पानी,
तक नहीं पूछा जाता,
यहा भूखे को मरने के,
लिए छोड़ दिया जाता,
यहा बेजुबान पेड़ -पौधों पशु-पक्षियों,
को सरेआम मारा जाता,
इस दुनिया मे मनुष्य बस,
अपना ही हक समझता,
इस कलयुग मे मनुष्य ही,
मनुष्य का बन बैठा काल,
तो समझ सकते हो आप,
बेजुबान पशु पक्षियों का,
कितना बुरा होगा यहा हाल,
यहा सच्चा इंसान ढूढने,
से भी नहीं मिलता है,
कलयुग है भाई ये कलयुग |


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आशा करते है आपको कलयुग पर कविता (Poem on kalyug ) पसंद आई होंगी आपका इस ब्लॉग मे आने के लिए 'धन्यवाद '





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