नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट मे बेजुबान जानवरो पर कविता लेकर आये है, इंसान तो अपना सुख -दुःख एक दूसरे को बता सकता है पर उन बेजुबान जानवरो का क्या जो अपने सुख -दुःख को किसी को नहीं बता सकते, दोस्तों भगवान ने हम इंसानों को इस धरती मे सबसे बुद्धिमान इस लिए नहीं बनाया की हम इस धरती मे जा कर सभी जीव -जंतुओ को डरा कर मार कर इस धरती पर राज करे बल्कि इस लिए बनाया है की हम उन बेजुबान, जीव - जंतुओ, पेड़ - पौधों का दुःख - दर्द महसूस कर सके ओर इस धरती मे प्रेम भावना को बढ़ाने का काम करे, आज न जाने कितने ही जानवर सडको मे लावारिस भूखे -प्यासे घूमते है पर किसी इंसान को उनका दर्द, भूख- प्यास नहीं दिखती अगर दिखती तो वो उन जानवरो को ऐसे लावारिस सडको मे मरने के लिए नहीं छोड़ता, जब तक जानवर से इंसान को कोई फायदा होता है तब तक तो वो उसे पालता है पर जब जानवर उसके काम नहीं आ पाता तो वो उसे मरने के लिए सड़को मे छोड देता है, ये इंसान नहीं हो सकता क्योंकि इंसान उसे कहते है जिसके अंदर इंसानियत हो ओर इंसानियत जिसके अंदर होती है वो दुसरो को दुःख पहुंचा कर कभी खुश नहीं रह सकता,
आज की यह बेजुबान जानवरो पर कविता बेजुबान जानवरो के ऊपर हो रहे अत्याचार के ऊपर लिखी गयी है,
बेजुबान जानवरो पर कविता -
क्या बताऊ दोस्तों क्या है
आज जानवरो का हाल
इंसान ही बन गया आज
बेज़ुबान जानवरो का काल
इस धरती के हर हिस्से पर
आज इंसान कब्ज़ा कर रहा
जानवरो को उनके ही घर से
मार मार कर भगा रहा
बेचारे बेजुबान जानवरो पर
हो रहा बहुत अत्याचार
क्या बताऊ दोस्तों क्या है
आज जानवरो का हाल
सड़क किनारे घूमते हमें
अनेको जानवर मिल जाते है
जो दिन भर भूखे -प्यासे
इधर - उधर भटकते रहते है
दुकान के सामने जाते है तो
उन्हें डंडो से मारा जाता
गाड़ी के सामने आते तो
गाड़ी से कुचल दिया जाता
बेज़ुबान जानवरो पर हो
रहा आज बहुत अत्याचार
क्या बताऊ दोस्तों क्या है
आज जानवरो का हाल
देखते है जब वो दूर दूर तक
पर उन्हें कुछ खाने को नहीं दिखता
चलते चलते थक जाते है पर ये
सीमेंट का शहर खत्म नहीं होता
खाने की तलाश मे वो
रोज सुबह निकलते है
लेकिन खाना न मिलने पर
वो शाम को कूड़े मे ही मिलते है
भूख सताती है उनको वो
बीमारी की फ़िक्र नहीं करते
कूड़े मे उन्हें जो मिल जाये
उससे अपना पेट है भरते
बेज़ुबान जानवरो पर हो
रहा आज बहुत अत्याचार
क्या बताऊ दोस्तों क्या है
आज जानवरो का हाल
लाता है इंसान इनको घर तब
जब उसको इनकी जरुरत होती है
वो झूठ मुठ का प्यार दिखाकर
इनको वस मे करता है
ओर इन बेज़ुबान जानवरो का
मालिक बन जाता है
ये जानवर भी इतने भोले होते है
इंसान के झूठे प्यार को
नहीं समझ पाते है
ये मालिक को बचाने के लिए
अपनी जान पर भी खेल जाते
ये इंसान को अपना सबकुछ मान लेते
पर मतलबी इंसान इनको तब तक ही पालता
जब तक उसको इनसे फायदा होता
जरुरत खत्म होने पर वो इनको है सताता
ओर दूर कही मरने के लिए
भूखा प्यास है छोड़ आता
क्या बताऊ दोस्तों क्या है
आज जानवरो का हाल
इंसान ही बन गया आज
बेजुबान जानवरो का काल
-V singh
कविता जानवरो पर संकट -
जंगल काटके इंसान अगर
वहा सीमेंट का शहर बसा देगा
तो उस जंगल का जानवर
जंगल छोड कहा जायेगा,
ओर अगर वो खाने की तलाश मे
कभी शहर मे आ जायेगा
तो ये निर्दयी इंसान उसे मार गिराएगा,
लेकिन फिर भी जंगलों को
काटना, जलाना नहीं छोड़ेगा,
जानवरो के लिए तो इंसान
हैवान है बन गया
अपने विकास के चक्कर मे
अनेक जानवरो की प्रजाति
खत्म है कर गया
-V singh
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आशा करते है आपको बेजुबान जानवरो पर कविता पसंद आई होंगी आशा करते है आप इस कविता को पढ कर बेजुबान जानवरो की हर संभव मदद करने की कोशिश करेंगे 'धन्यवाद '
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