समय किसी के लिए नही रुकता वो चलता ही रहता है इसी समय पर हमारी जिंदगी भी चलती रहती है जिसके चलते हमारा बचपन, जवानी ओर बुढापा आता है ओर एक दिन हमारा समय रुक जाता है
इसी समय पर एक छोटी सी कविता लिखी है जो आपको पसंद आएगी।
बुढापा एक छोटी सी कविता
समय आज मुझे कहा पहुंचा गया
सुख दुःख का खेल मुझे बतला गया
जिंदगी जीना लिखा गया
समय आज मुझे कहा पहुंचा गया
बचपन
बचपन के वो मस्ती से भरे दिन
मुझे आज भी याद आते है
बचपन के वो मजेदार खेल
मुझे आज भी याद आते है
बचपन के वो सच्चे दोस्त
मुझे आज भी याद आते है
माता - पिता की वो डाट
मुझे आज भी याद आती है
स्कूल के वो पढाई भरे दिन
मुझे आज भी याद आते है
खुशीयों से भरे वो बचपन के सभी पल
मुझे आज भी याद आते है
जवानी
बचपन के बाद जवानी की शुरुवात हो गई
जवानी मे कुछ सिखने की शुरुवात हो गई
जिंदगी को समझने की शुरुवात हो गई
सपने पुरे करने की शुरुवात हो गई
नए रिश्ते जोडने की शुरुवात हो गई
जिम्मेदारी को अपनाने की शुरुवात हो गई
जिंदगी मे कुछ खोया कुछ पाया
सुख दुःख समझने की शुरुवात हो गई
बुढापा
बचपन गया जवानी गई शुरू हो गया बुढापा
अधिकतर दोस्त चले गए बच गया सिर्फ मै अकेला
ताकत थी शरीर मे जब तक सब कुछ मुमकिन लगता था
अब शरीर ही छोड़ रहा है साथ बच गई है तो सिर्फ सोच
सपने देखता था मै कैसे कैसे
यह सोच कर आज हसने का मन करता है
मुझे आज फिर से बचपन जीने का मन करता है
मुझे आज फिर से बचपन जीने का मन करता है
समय
समय को कोई नही पकड़ सकता
मृत्यु को कोई नही रोक सकता
पल -पल आयु बढते रहेगी
जिंदगी दूर -दूर जाते रहेगी
एक दिन लोभ -लालच सब खत्म हो जायेगा
बस याद रहेंगे तो सिर्फ आपके द्वारा किए गए अच्छे काम यही है इस जिंदगी में आने का सुन्दर परिणाम
बुढ़ापे पर कविता
कल ही तो बचपन गुजरा
जवानी का दौर शुरू हुवा
कल ही तो बस्ता उतरा कंधो से
और पुरे परिवार का बोझ चढ़ गया
कल ही तो जवानी भी गुजरी
कंधों से परिवार का बोझ कल ही तो उतार
पर आज जब हंसना है आराम मिला तो
अब शरीर ही बोझ लगने लगा
बुढ़ापा कब आ गया जीवन में
समय का पता ही न चला
न खेल पाया खुल कर में
नही जिंदगी में हस पाया
पूरी जिंदगी बस कोई ना कोई बोझ ढोते गया
सोचता हूं जब में अब पुरानी बातों को
अब सब कुछ फिखा लगता हैं
अब तो कुछ बाते कहने और सुनने में भी
टाइम बहुत ज्यादा लगता हैं
यह बुढ़ापा भी क्या चीज है
जवानी के बाद सबको आना है
जिंदगी का यह आखरी सफर है यारो
हमे बस मुस्कुराते जाना है।
Old Age Poem In Hindi
साथ छूटा दादा - दादी का
साथ छूटा माता - पिता का
साथ छूटा बहुत रिश्तों का
साथ छोड़ रहा अब शरीर धीरे - धीरे
लगता है बुढापा आ गया
न शरीर में ताकत बची
न जीभ में स्वाद बचा
न आंखो मे रोशनी बची
न कानो मे आवाज बची
लगता है बुढापा आ गया
सोचने की शक्ति जा रही
यादाश्त कमजोर होती चली
त्वचा लटकने लगी है अब
लगता है बुढापा आ गया
अब नही करता कुछ करने का मन
अब इंतजार है बस उस पल का
जहा जाना नही चाहता कोई
फिर भी जाना पड़ता है
यही तो सच्चाई है
आए इस दुनिया में तो
एक दिन जाना भी पड़ेगा
अलविदा अलविदा अलविदा
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